छत्तीसगढ़ में मरार, माली समाज का इतिहास
छत्तीसगढ़ में आज लगभग 25 लाख की आबादी में बसने वाला मरार पटेल समाज प्रमुखतः साग-भाजी, फल- फूल उत्पादन का कार्य करता है। ऐसा कहा जाता है इस जाति की उत्पत्ति पश्चिमी भारत व सतपुड़ा में नर्मदा घाटी व विंध्य के पठारी क्षेत्र में माली व मरार जाति की उत्पत्ति हुई है। यह समाज आज भी परम्परागत व्यवसाय शाक-सब्जी, फल-फूल उत्पादन को अपनाए हुए हैं। उत्तर भारत में इस व्यवसाय को काछी लोगों ने अपनाया है। वैसे तो मरार समाज छत्तीसगढ़ के मूल निवासी के रुप भी जाना जाता है। सब्जी भाजी के साथ ही मौर बनाकर वैवाहिक कार्यक्रमों के लिए देना और ग्राम बैगा के रूप सेवा करना, हमारी संस्कृति आदिवासी संस्कृति से मिलती है।
छत्तीसगढ़ में मरार समाज मेहनत कश समाज के रूप में जाना जाता है। छोटे छोटे भूमि में नदी तालाब के किनारे और गांवों में समाज के लोगों की हरी सब्जियों से लहलहाती बाड़ियां देखी जा सकती है। पहले प्रायः कुएं में लकड़ी का टेड़ा बनाकर अपने फसलों की सिंचाई करते थे लेकिन अब समय के साथ मोटर पम्पों का इस्तेमाल हो रहा है। मरार समाज को फल, फूल, सब्जी के किस्मों और उत्पादन की विशेष जानकारियां होती है। जिसके कारण बाजारों में मरार बाड़ी के सब्जियों की मांग अधिक होती है।
मरार शब्द का मूल अर्थ ‘म’ से ‘माटी’ और ‘रार’ यानी युद्ध अर्थात माटी से युद्ध करने वाला योद्धा मरार कहलाता है। इसी प्रकार यह सब्जी व फूलों का उत्पादक शाकाहारी समाज है। देश भर में फूल माली, मरार माली, कुशवाहा ,कोयरी, काछी, गहलोत, मौर्य, आदि नामों से मरार समाज को जाना जाता है।
इतिहास
सन 1911 में मरार-माली जाति की संख्या लगभग 3,60,000 और मध्य भारत के बरार क्षेत्र में दो लाख की जनसंख्या में मरार-माली समाज पाया जाता था। आज संख्या लगभग 25 लाख हो चुकी है।
आराध्य देवी
समाज अपनी आराध्य देवी माता शाकम्भरी को मानता है जिनका प्रसिद्ध शक्ति पीठ राजस्थान के सीकर जिले में है। इसके साथ ही उत्तरप्रदेश के सहारनपुर में भी माता शाकम्भरी देवी का मंदिर है। छत्तीसगढ़ में भी सभी मरार, माली समाज माता शाकम्भरी की पूजा करता है। हर साल शाकम्भरी जयंती पौष पूर्णिमा पर मनाया जाता है। इसके साथ समाज महान समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले व भारत की प्रथम महिला शिक्षिका माता सावित्री बाई फुले को अपना आदर्श मानता है।
सामाजिक संगठन इतिहास
मरार समाज निरन्तर संघर्षों के साथ आगे बढ़ रहा है। आज सामाजिक संगठनों के महत्व को हर व्यक्ति समझने लगा है।
सामाजिक उत्थान के मद्देनजर 24 अक्टूबर 2021 को छत्तीसगढ़ मरार पटेल महासंघ के बेनर तले तत्कालीन मुख्यमंत्री माननीय भूपेश बघेल जी और हजारों की संख्या में सामाजिक पदाधिकारियों, सामाजिक जनों की गरिमामयी उपस्थिति में बलवीर सिंह जुनेजा इंडोर स्टेडियम रायपुर में कोसरिया, हरदिहा और भोयरा मरार की एकीकरण की ऐतिहासिक घोषणा की गई | इसके बाद से ही तीनों घटक के बीच वैवाहिक बंधन की शुरुआत हो गई है |
सामाजिक आयोजन
समाज के विकास के लिए प्रत्येक वर्ष शाकंभरी महोत्सव, युवक-युवती परिचय सम्मेलन, प्रतिभा सम्मान समारोह, आदर्श विवाह, ऑनलाइन कैरियर गाइडेंस कार्यक्रम, माता सावित्री बाई फुले जयंती आदि का आयोजन होता है |
संपूर्ण छत्तीसगढ़ में प्रतिवर्ष पौष पूर्णिमा को शाकम्भरी जयंती महोत्सव का आयोजन बड़े धूमधाम से किया जाता है। इस दिन समाज के लोग प्रसादी के रूप में शाक-सब्जी-भाजी का वितरण निःशुल्क करते हैं |
कुरुतियाँ
समाज में नशा पान, बहु पत्नी प्रथा, अंतरजातीय विवाह, शादी-छट्टी या अन्य आयोजनों में मांस व नशे पर प्रतिबंध है। ऐसी प्रथा-कुरुतियाँ जो समाज विकास में बाधक है उसे दूर करने के लिए समाज में समय समय पर कई नियमो में बदलाव किए जाते रहें हैं। समाज में अशिक्षा, दहेज, छुआछूत, स्त्री भेदभाव जैसे मामले नहीं हैं।
शैक्षणिक विकास
समाज में शैक्षणिक विकास के लिए कर्मचारी प्रकोष्ठ, छत्तीसगढ़ मरार पटेल महासंघ मुख्य रूप से विद्यार्थियों को आगे बढ़ाने का निरंतर प्रयास कर रहा है जिससे यूपीएससी, लोक सेवा आयोग, व्यापम, अन्य भर्ती परीक्षाओं में अधिक से अधिक युवा चयनित हो सके।